जागरूकता से महिलाओं की भागीदारी रक्तदान में बढ़ रही है – सविता कुमारी

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14 जून विश्व रक्तदाता दिवस पर विशेष

धनबाद। विश्व रक्तदाता दिवस दुनिया भर के रक्तदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पूरे विश्व में 118 मिलियन रक्त यूनिट की जरूरत पड़ती है। जिसे अवैतनिक रक्तदाताओं, परिवार के सदस्यों के माध्यम से पूरा करने का प्रयास किया जाता है। वहीं दुनिया भर में दुखद तस्वीर है कि हर दिन करीब 800 महिलाएं प्रसव के दौरान रक्त की कमी के कारण उनकी मौत हो जाती है।
विश्व रक्तदाता दिवस पर रक्तदान को लेकर जागरूक होने की जरूरत है। खास कर महिलाओं को। कुछ देशों में महिलाओं का रक्तदाता के रूप में 33 फीसदी भागीदारी है और यह देश और आंतरिक स्थिति में बदलाव को चिन्हित करती है। भारत में गरीबी और जागरूकता के अभाव में रक्तदाता के रूप में महिलाओं की भागीदारी 10 फीसदी के करीब है। हमें इसका कारण ढूंढना होगा कि महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़ाया जाय। सामान्य तौर पर गरीबी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं में खान पान की बेमेल स्थिति से आयरन की कमी रहती है। और कम आरंभिक साथ रक्तदान करना महिलाओं के लिए जोखिम भरा हो सकता है। महिलाओं के गर्भधारण के दौरान महिलाओं को अतिरिक्त 350 से 500 मिलीग्राम आयरन की अतिरिक्त जरूरत होती है। तो गर्भधारण के दौरान रक्तदान करना जोखिम भरा हो सकता है। वहीं महिलाओं के विशेष दिनों में आयरन की कमी होती है और रक्तदान करने से महिलाओं में थकावट हो सकती है। इसलिए भी महिलाएं विशेष दिनों में रक्तदान से बचती हैं। जिसके कारण ही महिलाओं की भागीदारी रक्तदांबके क्षेत्र में कम है।
महिलाओं के बीच बेहतर प्रचार प्रसार और जागरूकता से रक्तदाता के रूप में संख्या को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं जाने की किस स्थिति में रक्तदान करना सुरक्षित होता है। जागरूकता बढ़ा कर ही महिलाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
विश्व रक्तदाता दिवस पर सभी रक्तदाताओं को ढेरों शुभकामनाएं।

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