डॉ पूनम शर्मा रचित कविता मैं हिंदी हूँ

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मैं हिन्दी हूँ (शीर्षक)

मैं हिंदी बोल रही हूं ,
विश्व की सबसे प्रचलित
भाषाओं में से एक हूं मैं,
माथे पर लाल बिंदी सजाए
तुम्हारे बीच रहती हूं,
14 सितंबर 1949 में लिखित रूप से देश में मान्य हुई,
तुम्हारी राज भाषा हूं मैं,
मेरी माता संस्कृत है,
पिता आधुनिक हिंदी के जनक,
महान साहित्यकार एवं कवि
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,
मैंने सभी राज्यों में पंख फैलाए,
सभी को जोड़े रखती हूं
मैं हिंदी हूं ,
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी
हिंदी में ही भाषण देते हैं,
जो विभिन्न भाषाओं में अनुवादित कर प्रसारित किया जाता है ,
विदेशो में भी वेश भूषा,
हाव-भाव से पहचाने जाते हैं हिंदी भाषी,,
हाथ जोड़ , हिंदी भाषी होने का
परिचय देते हैं
हिंदी भजनों पर, भारतीय परिधान में झूमते नजर आते हैं
अंग्रेज वृन्दावन में,
एक सूत्र में बांध देती हूं तुम्हें
मैं हिंदी हूं , तुम्हारी सहेली,
तभी हम हिंदी दिवस मनाते हैं,
हिंदी का टीका अपने
ललाट पर सुशोभित करते हैं,
गुस्से में हिंदी में चिल्लाते हैं,
प्रेम से हिंदी में दुलारती है मां,
पहली भाषा तोतली हिंदी
मां बोलती है,
पंडित संस्कृत में
मंत्र उच्चारण करते हैं,
तुम्हारे कानों में प्रवेश कर जाते हैं ,
हिंदी से तुम्हारा परिचय कराते हैं ,
मैं तुम्हारी सहेली हूं,
तुम्हारा गर्व हूँ,
मैं हिन्दी हूँ ।

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