पारम्परिक संस्कृति से जुड़े रहने का पर्व दीपावली – शशि भूषण सिंह

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@ शशि भूषण सिंह
हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार

दीपावली हमारी पारम्परिक संस्कृति का हिस्सा है रावण वध के बाद श्रीराम का अयोध्या आगमन पर अयोध्या वासियों ने दीपोत्सव मना कर श्रीराम का स्वागत किया था. दीपावली प्रकाश का पर्व है. यह अंधकार पर जीत और सत्य व न्याय का प्रतिक है.
वर्तमान में ज़ब स्वदेशी और पर्यावरण संरक्षण की मुहीम चल रही है. ऐसे में दीपावली को अलग नही किया जाना चाहिए दीपावली को ग्रीन दीपावली के रूप में मनाया जाना चाहिए. जिससे पर्यावरण को नुकसान कम, वायु प्रदुषण को रोका जा सके और ग्रीन दीपावली के साथ स्वच्छ दीवाली स्वस्थ दीवाली के भाव को बनाया जा सके. साथ ही दीपावली को स्वदेशी उत्पाद से जोड़ कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाया जा सकता है. स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग कर हम दीपावली पर्व को और आकर्षक बना सकते हैँ.
दीपावली के पावन पर्व पर भगवान गणेश माता लक्ष्मी और भगवान श्रीराम का आशीर्वाद आप सबों पर बना रहे. समस्त देशवासियों को दीपावली की ढेरों शुभकामनायें.

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