नरेश पासवान द्वारा रचित गीत ये दिल जरा ठहर

साहित्य

नरेश पासवान

ये दिल जरा ठहर
क्यों बहक रहा ये नजर।।
ओ किसी और कि है, फिर भी उस पर नजर
अपने दिल पर काबू कर , न हो बेअसर
ये दिल जरा ठहर
क्यों बहक रहा ये नजर ।।
एसी सूरत है, दिल को कैसे मनाउ
दिल मानता नहीं, कैसे समझाऊं
तू आईसा न था, फिर है बेकदर
ये दिल जरा ठहर
क्यों बहक रहा ये नजर ।।
दिल आइसा न हो, दिल किसी पर आये
मैं आइसा न था, पर दिल बहक ही जाये
ओ एसी है, बहक जाये नजर
ये दिल जरा ठहर
क्यों बहक रहा ये नजर ।।
मुझको जो भी कहे, दिल है ही आईसा
दिल कैसे समझाऊं, है ही आईसा
मैं कहीं भी देखूं, उस पर जाए ठहर
ये दिल जरा ठहर
क्यों बहक रहा ये नजर ।।

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