योग शब्द का शाब्दिक अर्थ है “जोड़ना” या “एकता”। योग स्वस्थ जीवन जीने की एक कला और विज्ञान है। योग को रोग की रोकथाम, योग मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक और स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है और यह सभी आंतरिक अंगों और ग्रंथियों की मालिश करता है। यह कई बीमारियों के जोखिम को कम करता है। योग नियमित रूप से अभ्यास करने वाले किसी भी व्यक्ति की जीवनशैली में स्थायी रूप से सकारात्मक बदलाव ला सकता है |
योग आसन और श्वास हैं। ध्यान और श्वास अभ्यास (जिसे प्राणायाम कहा जाता है) के माध्यम से, आप अपने सभी तनाव को दूर कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। पुरानी बीमारियों को ठीक करने के लिए जिन्हें अन्य दवाओं से ठीक करना मुश्किल है। पीठ दर्द और गठिया से पीड़ित लोगों को अक्सर ऐसे आसन करने का सुझाव दिया जाता है हैं। प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे अच्छे श्वास व्यायाम हैं।
योग शरीर को लचीला बनाता है और सांस लेने के तरीके को बेहतर बनाता है। यह मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है। नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से बीमारियों को दूर रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने में मदद मिलती है |
योग को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने के लिए भारत की पहल उल्लेखनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों ने योग को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया। भारत के प्रस्ताव कि योग से किस तरह से अपने शरीर को उर्जावान व स्वस्थय रखा जा सकता है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी माना। योग को लेकर यूएन में मोदी के प्रस्ताव का 117 देशों ने समर्थन किया। अंतत संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने का एलान किया।
भारत में योग की बात बाबा रामदेव के बिना अधूरी है। रामदेव ने योग को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक स्तर पर काम किया है। योग और योगासन से जुड़ी बारिकियों को जन जन तक पहुंचाने में रामदेव ने उल्लेखनीय प्रयास किए। उन्होंने भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अलग अलग हिस्सों में योग पहुंचाया। अपने कैंपों के जरिए असाध्य रोगों से बचने के लिए योग के अचूक गुण बताए। रामदेव ने पतंजलि संस्थान की स्थापना की। साथ ही हरिद्वार में उन्होंने योग से चिकित्सा भी शुरू की ।
रामदेव का जन्म हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले में हुआ था। उनका मूल नाम राम कृष्ण यादव है। आज लोग उन्हें रामदेव का नाम से जानते हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा गुरुकुल में हुई। इस दौरान उन्होंने योग और संस्कृत की शिक्षा ली। योग के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। हरियाणा के गांवों में वह लोगों को योग और उससे जुड़े आसन के बारे में बताया करते थे।
रामदेव ने 1995 में दिव्य योग ट्रस्ट की स्थापना की। योग की लोकप्रियता लोगों के बीच उस वक्त और बढ़ी जब सेटेलाइट चैनल के माध्यम से योग घर घर पहुंचने लगा। योग के प्रति जागरुकता इस स्तर तक बढ़ी कि लोगों ने सुबह तड़के योग करना अपने जीवन का अंग बना लिया। इस तरह से रामदेव लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए। बाबा रामदेव की योग शिक्षा को जन-जन तक ले जाने की मुहिम सफल रही है | 15 लाख से अधिक योग शिक्षकों की फौज खड़ी कर उन्होंने भारत ही नहीं दुनिया में योग का डंका बजवाया है |योग और आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार और भारत की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में सुधार लाए |सौभाग्य से उनकी मुलाकात आचार्य बालकृष्ण जी से हुई, जो आयुर्वेद को अपनी जीवनशैली के रूप में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की प्रभावकारिता में लोगों का विश्वास बहाल करने के कार्य में खुद को समर्पित कर दिए है |
बाबा रामदेव देश भर से हजारों प्रतिभागियों की भागीदारी वाले उनके योग शिविरों में, वह आठ प्राणायाम करने पर जोर देते हैं:
1.भस्त्रिका 2. कपालभाति 3. बाह्य/अग्निसार 4.उज्जायी 5.अनुलोमाविलोमा 6.भ्रामरी 7.उद्गीथ 8.प्रणव
भस्त्रिका प्राणायाम करने के फायदे :-
मोटापे की समस्या से परेशान महिलाओं के लिए भस्त्रिका प्राणायाम योग बहुत ही फायदेमंद होता है।
इसका नियमित अभ्यास करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता है। …
इसे करने से शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है
भस्त्रिका प्राणायाम के कारण यह शरीर के सभी अंगों से टॉक्सिन्स को दूर करता है।
कपालभाति प्राणायाम करने से फ़ायदे हैं : –
यह शरीर को ऊर्जा देता है.
यह पाचन तंत्र को मज़बूत बनाता है और गैस, एसिडिटी, कब्ज़ जैसी समस्याओं से राहत देता है.
यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है.
यह हार्मोनल इंबैलेंस को ठीक करता है.
यह अस्थमा के रोगियों को काफी फ़ायदा पहुंचता है.
अग्निसार क्रिया करने से फ़ायदे हैं : –
इससे मोटापा कम होता है.
इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है.
यह मांसपेशियों और फेफड़ों को मज़बूत बनाती है.
इससे पेट के अंगों को ज़्यादा खून मिलता है, जिससे वे मज़बूत होते हैं.
उज्जायी प्राणायाम के फ़ायदे हैं : –
इससे गले और नाक के मार्ग साफ़ रहते हैं.
यह प्राणायाम थायरॉइड की समस्याओं में फ़ायदेमंद होता है.
यह प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और गर्मी बढ़ाता है.
यह प्राणायाम खांसी, बुखार, और सर्दी को कम करता है.
यह प्राणायाम शरीर से धातु विकारों को नष्ट करता है.
अनुलोमाविलोमा के फ़ायदे हैं : –
फेफड़े शक्तिशाली होते हैं।
सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
हृदय बलवान होता है।
गठिया के लिए फायदेमंद है।
मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार करता है।
पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
तनाव और चिंता को कम करता है।
पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।
भ्रामरी प्राणायाम के फ़ायदे हैं : –
यह माइग्रेन और साइनोसाइटिस से पीड़ितों के लिए फ़ायदेमंद है.
यह नाक बंद होने की समस्या को कम करने में मदद करता है.
यह गले में जलन को कम करने में मदद करता है.
यह नसों को शांत करता है.
यह मन को शांत करता है और एकाग्रता बढ़ाता है.
उद्गीथ प्राणायाम के फ़ायदे हैं :-
यह मन को शांत करता है और स्थिरता लाता है.
यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है.
यह हृदय रोग, माइग्रेन, मिर्गी जैसी बीमारियों में भी फ़ायदेमंद है
यह गले से जुड़ी बीमारियों को दूर करता है.
यह शरीर में रक्त संचार को बेहतर करता है.
प्रणव प्राणायाम के फ़ायदे हैं :-
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को भ्रूण पर शांत प्रभाव के लिए प्रणव श्वास का प्रयास करना चाहिए.|
यह अनिद्रा और बुरे सपने आने की समस्या को ठीक करता है
यह शीघ्र गुस्सा, अवसाद, और क्रोध से ग्रस्त बच्चों के लिए फ़ायदेमंद है.
यह प्राणायाम करने से उच्च रक्तचाप कम होता है.
इससे माइग्रेन से राहत मिलती है.
इससे एक प्रखर आभामंडल तैयार हो जाता है जो एक अभेद्य सुरक्षा कवच बीमारियों से बचाता है.
(लेखक पतंजलि योग केंद्र भूली के मुख्य योग शिक्षक हैं।)