मुक्ति
@ शिवशंकर यादव
रामनवमी पर्व की तैयारी गली मोहल्ला में हो रही है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में बसंती नवरात्र, छठ और रामनवमी मनाया जाता है। जिसमें सबसे उत्साह वर्धक पर्व रामनवमी है। राम शब्द मुक्ति का प्रतीक है। हर मनुष्य की इच्छा अपने जीवन मुक्ति की होती है। लेकिन क्या राम नाम मात्र से मुक्ति संभव है। राम विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। राम का नाम मुक्ति दिला सकता है। लेकिन हम राम के नाम का बाहर व्यवहार करते हैं। आत्मिक रूप से राम के गुणों का पालन नहीं करते। बाहर राम नाम का उत्सव मनाते हैं और भीतर अंधकार व्याप्त है। भीतर अंधकार है अहंकार का, अंधकार है अज्ञानता का, अहंकार है श्रेष्ठता का, अहंकार है बल का, धन का, तो भीतर राम कहां प्रवेश करेंगे। जब राम भीतर प्रवेश ही नहीं करेंगे तो मनुष्य मुक्त कैसे होगा ?

हमें राम नाम का बाहर नहीं बल्कि राम के गुणों को भीतर बैठाना होगा। राम ने पिता को दिए वचन के लिए राज छोड़ा राज्य छोड़ा, करुणा और दया के प्रतिमूर्ति हैं राम जो निषाद राज को गले लगाया, सबरी के जूठे बेर खाया, लंका विजय के बाद विभीषण को राजा बनाया।
राम के जन्मोत्सव पर श्रीरांबकर जयकारों से जय हनुमान के जयकारों से मनुष्य जीवन को मुक्ति तब तक नहीं संभव है जब तक राम को हनुमान की तरह अपने भीतर स्थापित नहीं करते। राम के आदर्श को नहीं मानते।
जैसे हनुमान राम नाम लेते हुए राम को हृदय में बसाया वैसे ही राम गुण को हृदय में बसा कर मनुष्य जीवन के भवसागर पार कर सकता है। मुक्ति पा सकता है।