डॉ योगानंद झा रचित कविता सौगंध मिट्टी का

साहित्य

सौगंध मिट्टी का

सौगंध हमें है इस मिट्टी की,
दुःख संताप मिटाएंगे,
जब तक प्राण सुरक्षित तन में,
कुछ अच्छा कर जायेंगे।।
ध्वज को न कभी झुकने देंगे,
अरि को न कभी रुकने देंगे,
हो आवाहन यदि भूमि का,
तन का भी भेंट चढ़ायेंगे।।
मातृ भूमि का ऋण है हम पर,
उसका मोल चुकायेंगे,
हुई जरूरत अगर भूमि को,
धर भी अपना घर जायेंगे।।
बलिदान हुए जो इस मिट्टी पर,
उनका भी फर्ज निभायेंगे,
दे शोणित का अंतिम जर्रा,
अपना सब कर्ज चुकायेंगे।।
हे मातृभूमि ! तू वह दिन देना,
आऊं तेरे काम यहां,
जिस राह चले अगणित योद्धा,
लिख जाऊं मैं भी नाम वहां।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *