पूनम शर्मा रचित कविता राम जी से विनती

साहित्य

राम जी से विनती

राम लला हम आ ही गये,
मंदिर भी वहीं बनाया है,
इंतजार तुम्हारे आने का
हर सनातनी को भाया है,
हर पल तेरा इंतजार करूं
केवट बन पाँव पखारूंगी,
चरणोदक करके पान प्रभु
निज जीवन सफल बनाऊंगी,
त्रेता में तुमने वचन दिया,
मेरी नाव को नारी न बनाओगे,
हम निडर होकर आ रहे सभी,
सबकी नैया पार लगाओगे ,
हम तुम्हरे चरण पखारेंगे ,
तुम्हें सरयु विहार करायेंगे,
तुमको क्या मैं अर्पण करूं,
जो दिया हुआ सब तेरा है,
केवट बन विनती करती हूं,
अब एक ही सहारा तेरा है,
जब भी आऊं मैं द्वार तेरे,
मेरी नैया पार लगा देना,
हे राम प्रभु ! हे राम प्रभु !
तुम क्षमा करो अपराध प्रभु !
तुम विष्णु के अवतार प्रभु,
सीता लक्ष्मण के साथ खड़े,
हनुमत वंदन में लीन हुए,
कुछ भक्ति हमें भी दे दो न,
हम हाथ जोड़ कर खड़े हुए,
आया राम राज्य का मौसम है,
हर ओर गूंजता नाम तेरा,
हर ओर रंग गुलाल चला,
दीपोत्सव मनाता भारत मेरा,
केवट बन पांव पखारूंगी,
शबरी के बेर खिलाऊंगी
आ जाओ प्रभु ,आ जाओ प्रभु,
अब नैया पार लगाओ प्रभु !

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