कुनाल सिंह की कविता स्वतंत्रता का संदेश

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स्वतंत्रता का संदेश”

कुनाल सिंह, कंप्यूटर शिक्षक, भुली नगर, धनबाद

15 अगस्त का आया पर्व,
उजाले लाया देश में फिर स्वर्ण।
लहराया तिरंगा नभ में गर्व,
जागो भारत, बदलो धर्म!

संस्कृति हो फिर से दीप समान,
हर घर में जले ज्ञान का दान।
भाषा, परंपरा, नृत्य, विचार,
इनसे ही तो है भारत अपार।

आर्थिक सोच बने स्वाभिमान,
हर हाथ बने अब श्रम का प्रमाण।
रोजगार खुद से सृजन करें,
आत्मनिर्भरता से हम बढ़ें।

भाईचारा हो फिर से जीवंत,
जाति-धर्म से ऊपर हो संत।
बोली हो मीठी, भाव हो शुद्ध,
समाज बने अब संस्कारी युक्त।

शिक्षा बने अब दीप सवेरा,
हर बच्चा बने राष्ट्र का चिराग।
गांव-गांव तक पहुंचे विकास,
हर दिल में हो भारत का विश्वास।

चलो संकल्प लें इस बार,
न केवल मनाएं पर्व अपार,
बल्कि बनें हम बदलाव के वाहक,
देश का गौरव, समाज के धारक।

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