पूनम शर्मा रचित कविता मैं वर्तमान हुं

साहित्य

मैं वर्तमान हूँ

मैं वर्तमान हूँ
तुम्हारा जीवन संबल,
मैं ही आधार हूँ,
आज का बीज,
कल का अंकुरित भविष्य ,
मैं वर्तमान हूँ,,,,
फिर तुम ये मत कहना,
हे परमेश्वर ये क्या कर रहा है,,,,,
जो बोता है तू ,
काटता है वही फसल,
तू नामुराद नहीं,,,,
बस अपने वर्तमान को पकड़ ले,
उसके धागे में एक एक मोती
चुन चुनकर पिरो,,,,,
फिर देखना , कैसे अंकुरित होंगे
खुद के बोए सुखद बीज,
तू वर्तमान में सुख की सीढ़ियां
चढ़ता चला जाएगा,
नव कलेंडर वर्ष पर,
आज यही प्रण कर ले !
तेरा नव कैलंडर वर्ष
सर्वोच्च हो जाएगा ।

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