गजेंद्र सिंह रचित कविता शारदीय नवरात्र की वेला

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पावन पर्व का स्वछ महिना,
शारदीय नवरात्र की वेला है,
माँ की कृपा है बरसती,
असीम कृपा की वेला है।

जो माँगो वो मिल जायेगी,
माँ की हृदय अलवेला है,
माँग लो अपनी सच्ची मन से,
मुरादों की ये मेला है।

नौ दिन का ये नवरात्रि,
हर मुराद पूर्ण करती है,
दीन दुखिया या धन्ना सेठ हो,
सब के दुःख को हरती हैं।

दुःख हरनी और सुख दात्री,
माँ की है अनेको नाम,
इनकी शरण में जो जाता है,
अच्छे होते हैं परिणाम।

परिणाम के बारे मत सोचो,
कर दो समर्पित इनके नाम,
हैं बड़ी दयालु माईया,
पूर्ण करेंगे सब तेरे काम।

काम है इनका, तुम क्यों सोचे,
भक्त बन तुम करो आराम,
नवरात्रि भर पाठ करो तुम,
सुधरेगे सब तेरे काम।
सुधरेंगे सब तेरे काम।

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