धनबाद नगर निगम चुनाव में सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या पिछले पाँच वर्ष धनबाद के विकास के लिए सामान्य ठहराए जा सकते हैं, या यह एक गंभीर समस्या है?
वास्तविकता यह है कि विकास में पाँच साल की देरी केवल कैलेंडर की गिनती नहीं, बल्कि जनता के सपनों का ठहर जाना है।
धनबाद झारखंड का औद्योगिक हृदय है यहाँ की जनता रोज़ मेहनत करती है, कर चुकाती है, और बदले में बेहतर सड़कें, स्वच्छ शहर, सुरक्षित जलापूर्ति और पारदर्शी शासन की उम्मीद रखती है। लेकिन जब चुनाव पाँच साल तक टलते रहे, तो न केवल प्रशासनिक निर्णयों में ठहराव आया, बल्कि जनता की भागीदारी भी सीमित हो गई।
नगर निगम जनता की सबसे नजदीकी सरकार होती है। जब यह सरकार निष्क्रिय या अधूरी रहती है, तो गली-मोहल्लों से लेकर सफाई, सड़क और रोशनी तक हर काम प्रभावित होता है। यह स्थिति “सामान्य” नहीं कही जा सकती — यह एक लोकतांत्रिक समस्या है, जिसने विकास की रफ्तार को रोक दिया।
अब जब चुनाव की प्रक्रिया फिर से शुरू हो रही है, यह अवसर है कि जनता सोच-समझकर ऐसा नेतृत्व चुने जो काम करने में विश्वास रखता हो, न कि बहाने बनाने में।
धनबाद को केवल योजनाओं की नहीं, बल्कि समर्पण और समयबद्ध कार्रवाई की जरूरत है।
नगर निगम चुनाव केवल पद की लड़ाई नहीं है यह इस शहर के भविष्य की दिशा तय करने का मौका है।
धनबाद को अब देरी नहीं, तेजी और परिवर्तन चाहिए।
