रविकांत कुमार रचित कविता आस्था का महापर्व छठ

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आस्था का महापर्व:छठ
।। 1 ।।
पर्वों में यह महापर्व
छठ पर्व महान है
महिमा इनकी इतनी अलौकिक
नतमस्तक सारा जहां है ।
।। 2 ।।
आस्था का यह पर्व अलौकिक
पवित्र परिवेश छा जाता है
नदी तालाब आहार नाहर
सबका महत्व भा जाता है ।
।। 3 ।।
चार दिन का अनुष्ठान यह
सूर्य उपासना करते हैं
सुख शांति यश वैभव खातिर
छठी मईया से याचना करने हैं ।
।। 4 ।।
नहीं जरूरत पंडित पोथी
और न मंदिर कुंड यज्ञशाला
नहीं ज़रूरत गाड़ी सवारी
जय हो छठी मईया की
बोलबाला ।
।। 5 ।।
लोक आस्था का महापर्व यह
सीधा सरल विधान है
अमीर गरीब सब वर्गों के लिए
एक हीं पूजन स्थान है ।
।। 6 ।।
दीपावली के दूसरे दिन से हीं
लोग इस महापर्व की तैयारी में जुट जाते हैं ।
घर बाहर अगल बगल के
लोग तहे दिल से सहयोग दे जाते है ।
।। 7 ।।
इस पूजन में शामिल होने को
लोग दुर दुर से आते हैं
छठी मईया की कृपा ऐसी
कि सभी की मन्नतें पुरी हो जाते हैं ।
।। 8 ।।
होली दीवाली या हो दशहरा
लोग मुश्किल से छुट्टी लेकर आते हैं ।
पर इस पूजन में शामिल होने को
बॉस भी आसानी से छुट्टी दे जाते है।
।। 9 ।।
चार दिन का अनुष्ठान यह
नहाय खाय से आरम्भ होता
मन में छठी मईया का भाव लिए
कद्दू भात दिन में बनता
।। 10 ।।
पहला दिन नहाय खाय
दूसरे दिन खरना प्रसाद ।
तीसरे दिन अस्ताचल सूर्य अर्घ्य
चौथे दिन उदीयमान सूर्य अर्घ्य
और पारणा प्रसाद ।
।। 11 ।।
मौसमी फल और ठेकुआं से
उपासक सूप दौरी सजाते है।
सूर्य को साक्षी मान
छठी मईया को अर्पण कर जाते हैं ।


@कवि रविकांत कुमार
वरीय ओवरमैन
AKWMC
कतरास क्षेत्र-4
बीसीसीएल

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