नारी
इस दुनिया की शान है नारी
इस सागर का आधार है नारी।
पर क्यों अबला और बेचारी
समझी जाती है नारी?
मां, बहन, दोस्त, पत्नी बन कर
हर रिश्ते को बखूबी निभाती है नारी।
फिर क्यों चाहे गलती कोई भी करे
हर गाली में छुपी होती है नारी ?
देखा है पूजी जाती है देवियां
मंदिरो में फूलो की मालाओं से ।
फिर क्यों आपनी घर में ही
कुप्रथाओं के जंजीरों से बांध हैं नारियां ?
क्या कुछ नहीं कर सकती है नारियां ।
विश्व पटल पर परचम लहरा रही है नारियां।
फिर क्यों रात हो या दिन
आकेली कही जाने से घबराती है नारिया?
(लेखिका जीएसए +2 उच्च विद्यालय यादवपुर की छात्रा है।)