राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर विशेष
धनबाद। जितेन्द्र कुमार समाज सेवक का कहना है कि शिक्षा का कोई नहीं है दूजा। शिक्षा प्रारंभिक ढांचा है जो देश की विकास को तय करता है। अगर शिक्षा नहीं है तो जीवन अधूरा है। शिक्षा ही वह रूप है जो आपके परिवार, समाज , क्षेत्र, राज्य और देश की दिशा और दशा को तय करता है। आज जरूरत है शिक्षा के लिए कृतसंकल्पित भाव से सहयोग करते हुए जागरूकता अभियान को जोर शोर चलाए। आज भी जागरूकता की जरूरत है पूरे देश में शिक्षा के प्रतिशत को मजबूती के साथ बढ़ाने की जरूरत है। आज देश में राज्य वार शिक्षा के प्रतिशत को देखे तो केरल को उदाहरण मानते हुए केरल जैसा शिक्षा का प्रतिशत की जरूरत अन्य राज्यों में भी है। यह सिर्फ लोगों के जागरूक होने से हुई है। आज घर परिवार और समाज में शपथ लेने की जरूरत है कि शिक्षा का कोई नहीं है दूजा। एक उदाहरण समझिए जिस घर में शिक्षा की ज्योति अगर जलती है तो वह परिवार सुखी संपन्न और उस परिवार के जीवन स्तर में सुधार होता है उनके पीढी में यह संदेश जाता है और कई पीढ़ी पर असर पड़ता है। जिससे समाज , राज्य और देश पर इसका असर पड़ता है। आज जरूरत है कि प्रत्येक राज्य जोर शोर से जागरूकता अभियान चलाये और शिक्षा के स्तर बढ़ाने के लिए अलग फंड रखे यह काम सभी राज्य के सरकार को करनी चाहिए। आओ हम सब मिलकर शिक्षा के स्तर के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कृतसंकल्पित भाव से सहयोग करें।

