राधाकृष्ण झा रचित होली पर मैथिली कविता

साहित्य

विद्यापति समिति धनबाद

विद्यापति आंगन मिथिला भवन
होरी मिलन अद्भुत दृश्य
रंग अबीर गरम जिलबी
भंग डूबल फगुआ वृद्धि।
हंसी खुशी स‌ फाग भेल
विजया रंग में मतंग भेल
जोगीरा गयलनि राधाकृष्ण
विभूषित भेला मिथिला वृन्द।
🙏
बूरा न मानों होली है
विद्यापति समिति धनबाद
सांसद- बरद बनि भांग चरैत छथि
नहि भेटै छनि पुआ
अंगने अंगने घूमि रहल छथि
पहिर क छपुआ नुआ।
जोगीरा स र र र

विधायक- राज बाबू बहुत व्यस्त छथि
टिकट लेल बेहाल
जहां तहां घुमि रहल छथि
दिल्ली भेल दलाल
जोगी स र र

संरक्षक--

भीष्मपितामह बनखंडी बाबू
मैथिली साहित्य ‌संदेस
फगुआ ‌मे अगुआ‌ रहला
बूढ़ो मे नरेश।
जोगीरा स रर

संरक्षक– विश्वभर झा
वंसत उत्सव फगुआ आयल
आमक मज्जर मधुर मधुरायल
रंग अबीर स विद्यापति खेलथि
अहूं खेलू पूरी जोर
अबीर के छी अहां चोर।
जोगीरा स र

श्री विजय कुमार झा बियाडा
फगूआ मे अगुआ बनि
रंग अबीर गुलाल
भांग पीब भकुआयल छी
घर में सुटकी बिलाड़
जोगीरा स. र र र

श्री ए.के.झा नेता इटक–
लम्बोदराय नमो: नम:
एकटा लड्डू और चाही।
पेट नहीं भरल‌
जोगीरा सररर

डॉ0 ए. के. झा — ईएनटी
मृदु भाषी, तेजगर‌ कनिया
अबीर स घोरल‌नि चाह
दही चूड़ा मैडम हाथक
सरस अंग तबाह।।
जोगीरा स र र र

अध्यक्ष – श्रीशिवकान्त मिश्रा-
बाप रे बाप, हड्डी सुखा गेल,
अहि समिति लेल-
किओ कहैया नायक ई मैथिल
किओ कहैए पद लेल
किओ कहैए भिखमंगा हमरा –
किओ कहै ढ़हलेल।
जोगीरा स र र
आब नहि ?
घर में आरती के” आरती उतारब
संग मिल खेलब क फगुआ
भांग पीब नाचब छत पर
पत्नी देलनि छपुआ
धोती खुली आकाश उड़ी गेल
उघरल झांपल अंग
हरबरी में साड़ी देलनि ।
शिव बाबा मतंग जोगीरा स र र र

का.अ.- श्री सुरेश कुमार झा-नेता
घूस दय लेख लिखाबैथि
उदय भेला आचार्य
मनस्वी तेजस्वी यशस्वी स
केयलनि अलंकार
कोयलांचल के धरती पर
एकही भेल नारद नटुआ
बिलाई भेष अंगने अंगने
खाइया रोटी मरुआ ।जोगीरा ‌

वाक् शास्त्र फूसी बजैई में
नारद स भेटल तकमा
की कहू? नहि फुराइया
ई छथि उसनल अल्हुआक ढंकना
जोगीरा स‌र रर

आर एस ठाकुर
धोखा मे मटियातेल द’ देलक-
पजरि गेल पेट में आईग.
काल्हि स कानि रहल छी,
कोना क पुआ खाई! जोगीरा स‌रर

डॉ पी. सी. एल दास
दास बनि कनियां सेवा,
कोना चलत जंजाल,
रने- बने घुमि रहल छी
किओ नहि आबई व्दारि। जोगीरा सर र

पंडित श्री सर कामेश्वर झा
अहि लगन पूजापाठ मे
कतहुँ नहि भेल नोत
कोयलांचल मिथिलांचल दोरि रहल छी
किओ नहि ‌देलनि खोंचि।
जोगीरा स ररर

अमरनाथ झा महासचिव
अमरनाथ छथि भोला बाबा
बसुधा मुख‌ में पान
दुनू व्यक्ति हिला‌ हीली
राधाकृष्ण मस्कान।
जोगीरा सरर
स्मारिका में
किछु देलनि ‌प्रशस्ति पत्र
किछु देलनि संस्था रुप
सरकारक‌ बेर में ‌मोईस घटि‌ गेल
देखू सुमंत के करतूत
जोगीरा सर‌रर

धीरेन्द्र बाबू उपाध्यक्ष
हमरे पर सभ हंसैए
की कनियां द ‘ दियैक बटाई
सुखायलमे खेत डूबकी मारै छी
नहीं भेटेए जाइठ।
जोगीरा… स र‌रर

सचिव श्री आनन्द कुमार –
छथि कुमार ‘कनखी मटकी –
मैला में देखथि‌ युवती नारी
कहां गेला ओ यौ?
कोना पहिरब सुंदर साड़ी।
जोगीरा सररर

सचिव संजय झा —
अप्पन पटरानी ब्यूटीफुल
ताकि रहल छथि तरुणी फूल। जोगीरा स र र र

आर,के,‌झा
मृदु वाणी उदार‌ प्रवृत्ति
रंग खेलथि दुनू प्राणी रात्रि
धोती साड़ी बदला-बदली
बनि गेला ‌नटुआ जानी आई।
‌‌जोगीरा सरर

अशोक झा रेलवे
तास खेलाई के जोह लागल छनि
नहि भेटै छनि गोंधियां
सब बाजी में हारि जाईत छथि
अंगना भागल कनियां।
जोगीराम सरर

के,के ठाकुर
दाढ़ी बनबै चलला बसबिट्टी
गहिकी किओ नहि आई
नोर झोड़े कानि रहल छथि
अस्तुरा गेल हराए
‌‌जोगीरा सरर

जयप्रकाश बाबू
मैडम लग सुट सुट बिलाई
की करताह सरकार
भांग पीब सुति रहला गोठूला में
मैडम देलनि गारि।
जोगीरा सरर

खजांची आशुतोष
ताला – कुंजी ‌किछु‌ नहि
बॉकसा ‌‌ टाका स खाली
साड़ी सायाऔर किछु ओही में
हाय कैशियर मन भारी
जोगीरा स र र र

मुख्य संपादक उदय बाबू
नेता सरकार के ‌कृपा स

बदला में ‌लिख देलियैन
माटि पैन चर्चा पर
अहूं खुश
ओहो खुश
और सब भूस भूस भूस
जोगीरा स र र

सभ सदस्य के शुभकामना
होरी खेली कुटुबं कुटमारे
हित प्रीति मिल गाबी फगुआ
सरस बनय संसारे।

रंग अबीर डंफ झांलि सं
जमि गेल विद्यापतिक आंगन,
हंसी खुशी स फगुआ खेली
राधाकृष्ण मन भावन। जोगीरा…

(कवि जानकी पत्रिका के संपादक हैं।)

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