रविकांत कुमार रचित कविता फागुन के रंग बसंत के संग

साहित्य

फागुन के रंग/ बसंत के संग
।। 1 ।।
रंग उपवन के हैं चमकीले
रंगीले फागुन में ।
किसने फेंका रंग सुनहरा
खिल जाए अब मौसम बदरा
प्रेम अगन हो चले अब जोशीले
रंगीले फागुन में
रंग उपवन के —
।। 2 ।।
बन उपवन सब लेती अंगड़ाई
फगुनाहट की जादू छाई
महक फूलों की खूब मृदुले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के —
।। 3 ।।
राग बसंत अलिकुल सब गाए
छम छम तितलियां के पायलिया बाजे
झांके अंबर सरसों के रंग पीले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के —-
।। 4 ।।
नीलकंठ नाचे बाजे पायलिया
मिसरी घोले बोले कोयलिया
आम मंजर से मन हो रसीले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के —-
।। 5 ।।
मनोरम मौसम बजे शहनाई
चना मटर में आई तरुनाई
गेहूं जौ के कमर खूब लचीले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के —-
।। 6 ।।
मंद मंद मलय पवन मुस्काए
महुए की गंध वन महकाए
तीसी आलू हो गए अब रसीले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के —-
।। 7 ।।
नवकोंपल सब घूंघट खोले
बहुरंग तरूवर आई लव यू बोले
बाबा बरगद भी हो गए सुरीले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के—-
।। 8 ।।
भ्रमर रानी मदन रस घोले
सरिता सर निर्मल जल सोहे
आम अमौरी का झूला
मस्त झूले
रंगीले फागुन में ।
रंग उपवन के —-
।। 9 ।।
साला का रंग जाना पहचाना
रंग सरहज का होली बरसाना
छोटकी साली के रंग नखरीले
रंगीले फागुन में ।
रंग होली के …..।
( कवि वरीय ओवरमैन कतरास क्षेत्र – 4 बी सी सी एल में कार्यरत हैं)

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