डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर विशेष
ललन मिश्रा ( भाजपा भूली मंडल के प्रथम अध्यक्ष )
भूली। बंगभूमि से कई शिक्षाविद्, आध्यात्मिक गुरु, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक हुए। उन्हीं में से एक समाज को चमत्कृत करने वाले विचारक नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी हुए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन में जो अंदेशा जताया वह सात दशक बाद भी दिख रहा है। कांग्रेस के तुष्टिकरण की राजनीति का उन्होंने विरोध किया जिसके कारण उन्हें संकुचित सांप्रदायिकता का द्योतक माना गया। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश में एक देश एक विधान का नारा दिया और कश्मीर में लागू अलग प्रधान व विधान का विरोध किया। कश्मीर सीमा में प्रवेश को लेकर उनकी गिरफ्तारी हुई और आज के ही दिन 23 जून को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निधन की घोषणा की गई।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्र भारत में कांग्रेस के तुष्टिकरण की राजनीति का विरोध किया। आज देश के भीतर बंगाल की जो स्थिति है उसका अंदेशा डॉ मुखर्जी ने सात दशक पूर्व ही कर दिया था।
आज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर शत शत नमन और उनके विचारों सिद्धांतों पर चलने की शपथ लेने का समय है।