विश्व योग दिवस पर रविकांत कुमार की कविता

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।। 1 ।।
विश्व योग दिवस की अपनी पहचान
योगशक्ति से रूबरू कराता
मेरा भारत महान
सदा स्वस्थ रहे सब मानव
सुख शांति में ही सबका कल्याण ।
।। 2 ।।
जो तन और मन को हर्षित कर
आत्मा से निःशुल्क मिलन कराता है ।
चुस्ती फुर्ती का ऊर्जा देकर
काया निरोग कराता है ।
वही योग कहलाता है ।
वही योग कहलाता है ।।
।। 3 ।।
इसके अच्छे सारे आसन
ईश्वर प्राप्ति के हैं साधन
नित्य जो इसे अपनाता है ।
सदा स्वस्थ वो रहता है ।
जीवन की हर सुख और शांति
प्रतिदिन वह पाता है ।

आलस दूर भगाता है ।
मजबूत इम्यूनिटी विकसित करके
रोग से मुक्ति दिलाता है ।
जो जीवन शैली में सुधार करके ,
उधार से मुक्ति दिलाता है ।
वही योग कहलाता है ।
वही योग कहलाता है ।।
।। 4 ।।
निर्मल हृदय निरोगी काया
ये सब है योग की माया
बच्चे बुढ़े डॉक्टर रोगी
है सबके लिए बहुत उपयोगी ।
शरण में आए जो भी मानव
वो सब होता सुख के भोगी ।।

जो अंतःकरण को शुद्ध करके
नवचेतना का करे संचार ।
हृदय में अच्छे अच्छे विचार उन्मुख हो
पुरा सुखमय हो संसार ।
विषाक्त होता जनजीवन के इस दौर में ,
जो जीने का गुर सिखलाता है ।
वही योग कहलाता है।
वही योग कहलाता है
।।

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