पूनम शर्मा रचित कविता हे री अयोध्या

साहित्य

हे री अयोध्या !

सरजू का किनारा और,
अयोध्या में आया घंटा,
दोनों आतुर हैं स्वागत को
राम भक्तों के,,,,
सरजू !
तुम ने मेरे मन की शिला पर
राम लिखा हुआ पढ़ लिया है,,,,
यह कलयुग है,
यहां तुम राम भक्तों को
पहचान लेती हो,,,,
दिल खोलकर मुस्कुराती हो,
आलिंगन करती हो,
अरी अयोध्या !
धरा पर विराजमान तुम ,
श्री राम चरण से स्पर्शित तुम,
भक्तों को बुलाकर,
धन्य करना चाहती हो,,,,
यह अयोध्या है भक्तो !
चप्पा चप्पा
श्री राम के भजन में झूमता,
चौराहे पर खड़ी ,
लतामंगेशकर की वीणा,,,
राम धुन अलाप कर
सम्मोहित करती है भक्तों को,
सुनाती है राम भजन,
राम राज्य का बखान करती हवा,
रामप्रेम में समर्पित पेड़,
राम धुन में नाचते झूमते बताते,
हम भी साक्षी हैं ,,,,
दशरथ नन्दन श्री राम के,
स्वाभिमानी सीता के,
राम भक्त हनुमान के और,
लव कुश के,
कण कण समर्पित है अयोध्या का
श्री राम को,,,
अब तो घंटा भी आ पहुंचा है,
श्री राम का जयकारा लगाने को
घंटाध्वनि करने को ,
प्यारी अयोध्या में
करने उदघोष,
जय श्रीराम, जय हनुमान,
जय पतितपावन, जय कृपानिधान ।

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