आवाहन मां का (शीर्षक)
आस्था की बयार चली
सुगंधित सुगंधित,
उम्मीदों के दीप जल उठे,
बिखरी रौशनी , जगमग सड़कें
तू आ रही है मां ,
स्वागत है तेरा,
श्रद्धा, भक्ति, आस्था और
विश्वास का दुर्लभ संगम ,
मैं लालायित तेरे दर्शन हेतु ,
तू लालायित पृथ्वी भ्रमण को,
शक्तिशाली तू ,
आवाहन करती मैं ,
दैदीप्यमान नौ रूपों का
सोने सा दमकता रूप ,
लाल चुनरिया , लाल बिंदी ,
लाल महावर , मेहंदी रचे हाथ,
छनकती पायल,,
आ मां तेरी नज़र उतारें,
सब की आंखें तुझपर टिकी हैं,
तेरा अलौकिक रूप देख
पलकों ने झपकना छोड़ दिया है ,
तू मुस्कुरा उठी है, हे शैलपुत्री !
तू रक्षक है धरती के प्राणियों की,
एक प्राणी में भी ह़ूं,
मेरे पास क्षीण स्मरण शक्ति है,
तू महान शक्तियों वाली ,
मुझे पूजा अर्चना नहीं आती ,
तेरा नाम जपना ध्येय है मेरा,
तेरे नौ नामों में तलाशती तुझे ,
तेरे नौ नामों की ,
परिक्रमा करती हूँ,
शैलपुत्री: , ब्रह्माचारिणी: , चंद्रघंटा:,
कूष्मांडा: , स्कंदमाता: ,कात्यायनी:,
कालरात्रि: , महागौरी: , सिद्धरात्रि: नमो नमः ,
जोर जोर से पुकारती तुझे ,
मैंने हाथों को ऊपर उठा
समर्पण कर दिया है अपने को ,
नजरें तेरी ओर ,,,,
कुछ बोल मत तू ,
सिर्फ हाथ रख दे सिर पर,
मेरी ये तुच्छ अर्चना
सफल हो जाएगी ,
तेरी प्रखर किरणें
समाहित होंगी मुझमें ,
विजय रथ बढ़ेगा
आहिस्ता आहिस्ता,,,,,