पत्रकारिता में मानवीय संवेदना और जीवटता जरूरी – सुंदिष्ट कुमार

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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष

सुंदिष्ट कुमार
झारखंड प्रदेश सचिव
मानव अधिकार प्रोटेक्शन

हिंदी पत्रकारिता में मानववाद का अर्थ है समाज में मानव मूल्यों को महत्व देना, मानव अधिकार और न्याय के प्रति संवेदनशील होना, और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करना। यह पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो न केवल खबरों को प्रकाशित करने तक सीमित है बल्कि समाज में बदलाव लाने की भी कोशिश करता है। हिंदी पत्रकारिता में समाज के हर व्यक्ति को समान रूप से महत्व देना और उनकी गरिमा का सम्मान करना। इसमें सभी धर्मों, जातियों और लिंगों के लोगों के प्रति समान दृष्टिकोण रखना शामिल है। मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को उजागर करना और पीड़ितों की आवाज को सुनना। इसमें सामाजिक अन्याय, भेदभाव और उत्पीड़न के मामलों को उजागर करना भी शामिल है। न्याय के प्रति संवेदनशील होना और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करना। इसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करना और पीड़ित लोगों की आवाज को बुलंद करना शामिल है। मानवीय संवेदनाओं को उजागर करना और लोगों में दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा की भावना को जगाना। इसमें मानवीय संकटों, प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करना शामिल है।
आज जब तकनीक बढ़ा है तो हिंदी पत्रकारिता का दायरा भी बढ़ा है। अखबारों के साथ डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी खबरों की पसंदीदा स्थान बना रही है। ऐसे में खबरों की विश्वसनीयता, और जन भावना को गंभीरता से लेने की जरूरत है। ताकि मानव मूल्यों की रक्षा हो सके।
हिंदी पत्रकारिता दिवस उदंत मार्तंड के दो सौ वर्ष पूरा हो रहा है। हिंदी भाषा में खबरों का संकलन प्रकाशन में लगे सभी मनीषियों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं।

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