दीवाली के नाम।
।। 1 ।।
जिस दिन लौटे लक्ष्मण भ्राता
माता सीता प्रभु श्री राम
लंका नगरी से अयोध्या धाम
वो दिन दिवाली के नाम ।
।। 2 ।।
रावण भी ठाना था मन में
उनके हीं हाथों मरना ।
लाख समझाएं पत्नी और भाई
फिर भी कहना न माना ।
आख़िर में तो सबको एक दिन
पंचतत्व में हीं मिल जाना ।
अंतिम समय में वो भी कह गया
प्रभु का नाम हे राम!
वो दिन दिवाली के नाम ।
।। 3 ।।
लंका को जब जलते देखा
वो भी ख़ूब घबराया
प्रभु ! के आने की उम्मीद
अब और भी गहराया
उसने सोंचा ये सब लीला
और ईश्वर की है माया
जाते जाते संदेशा
दे गए वीर हनुमान
वो दिन दीवाली के नाम ।
।। 4 ।।
घर घर दीपक रोशन कर
बाट जोहे सब अयोध्या द्वारे
अश्रुपूरित नेहों से सब
उन्हें खूब निहारे ।
ब्रह्मा विष्णु महेश पधारे
संग लक्ष्मण सीता प्रभु राम
वो दिन दिवाली के नाम ।
साथ में भक्त हनुमान
वो दिन दीवाली के नाम ।
।। 5 ।।
अन्तर्मन की अंधियारा को
सब जन दूर भगाएं
निर्धन के गलियारों को भी
जगमग रोशन कर जाएं
हर घर जाकर दीप जलाकर
खुशियां आपस में बांटें
ऐसी भक्ति दिजै प्रभु कि
नेक बनें इंसान
वो दिन दिवाली के नाम ।
माता लक्ष्मी और गणेश को
सहृदय प्रणाम
वो दिन दिवाली के नाम।
( कवि रविकांत कुमार वरीय ओवरमैन AKWMC कतरास क्षेत्र-4 बीसीसीएल में कार्यरत हैं।)