कैंसर का इलाज की व्यवस्था अब असर्फी में उपलब्ध

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भूली/ धनबाद। । असर्फी कैंसर संस्थान द्वारा फेफड़ों के कैंसर जागरूकता माह के अवसर पर एक विशेष आयोजन आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के प्रमुख कैंसर विशेषज्ञों ने कैंसर के खतरों और उपचार के बारे में गहरी जानकारी साझा की, जिससे समाज को इस गंभीर बिमारी के प्रति जागरूक किया गया।
इस कार्यक्रम में असर्फी कैंसर संस्थान के विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ. आकाश दीप, एमडी पल्मोनरी मेडिसिन, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन, डॉ. बिप्लब मिश्रा, एमबीबीएस, डीएनबी (रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), डॉ. रमेश कुमार, एमडी, डॉ.एनबी (मेडिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. बराथ राज कुमार एस, एम.एस. एमआरसीएस (एडीन.), एम.सीएच, (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. श्रणव झा, एमबीबीएस, एमडी न्यूक्लियर मेडिसिन, असर्फी कैंसर संस्थान के मुख्य निदेशक उदय प्रताप सिंह, कार्यकारी निदेशक माहेर खत्री, अध्यक्ष सुभांशु रॉय एवं सूरज मिश्रा उपस्थित होकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी मुख्य जानकारियां दीं गई, जैसे इसके लक्षण, कारण, पहचान और उपचार की नई विधियां, इसके अलावा, कैंसर मरीजों के संघर्ष और उनकी मानसिक स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने बताया कि समय पर निदान और इलाज से इस बिमारी से बचाव संभव है और कैंसर से जूझ रहे मरीजों को सही मार्गदर्शन और उपचार मिलना अत्यंत आवश्यक है।
वर्ष 2024 का थीम है “एक साथ मजबूत: फेफड़े के कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए एकजुट।” यह थीम फेफड़े के कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सामुदायिक समर्थन और सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है। हर वर्ष के नवंबर को फेफड़े के कैंसर के बारे में जागरूकता माह मनाया जाता है, जिसमे फेफड़े के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, जांच को बढ़ावा देने और चल रहे शोध के बारे में जानकारी साझा किया जाता है। यह महीना शुरुआती पहचान के महत्व पर जोर देता है, जिससे बचने की दर में काफी वृद्धि होती है। दुनिया भर में सबसे आम कैंसर में से एक के रूप में, फेफड़े का कैंसर लाखों व्यक्तियों और परिवारों को प्रभावित करता है, और फेफड़े के कैंसर जागरूकता माह इन लोगों को बीमारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में एक साथ लाता है। इस वर्ष विश्व भर में फेफड़े का कैंसर से 25 लाख मरीज ग्रसित रहे है।
डॉ. आकाश दीप, एमडी पल्मोनरी मेडिसिन, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन ने बताया कि फेफड़ों का कैंसर विश्वभर में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि धूम्रपान, पर्यावरणीय प्रदूषण और जीन के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। फेफड़ों के कैंसर की पहचान शुरुआती चरणों में करना मुश्किल होता है, लेकिन शुरुआती लक्षणों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द, और खून आना शामिल हो सकते हैं। साथ ही यह भी बताया कि एक पल्मोनोलॉजिस्ट के रूप में हम फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती निदान के लिए ब्रोंकोस्कोपी/थोरैकोस्कोपी सीटी गाइडेड बायोप्सी करते हैं।
डॉ. बिप्लब मिश्रा, एमबीबीएस, डीएनबी (रेडिएशन ऑन्कोलॉजी) ने कैंसर के उपचार में रेडिएशन थेरपी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रेडिएशन थेरेपी को सर्जरी या कीमोथेरेपी के साथ जोड़ा जा सकता है और यह खासकर फेफड़ों के कैंसर के ट्रीटमेंट में प्रभावी साबित हो सकती है।
डॉ. रमेश कुमार, एमडी, डॉ.एनबी (मेडिकल ऑन्कोलॉजी) ने फेफड़ों के कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के विकल्पों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक उपचार विधियां कैंसर के इलाज में बहुत अधिक प्रभावी हो रही हैं, जिससे मरीजों की जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है।
डॉ. बराथ राज कुमार एस, एम.एस. एमआरसीएस (एडीन.), एम.सीएच (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) ने फेफड़ों के कैंसर के सर्जिकल उपचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि कैंसर शुरुआती अवस्था में पहचाना जाए, तो सर्जरी के माध्यम से ट्यूमर को हटाया जा सकता है, जिससे रोगी को अधिकतम लाभ मिलता है।
डॉ. श्रणव झा, एमबीबीएस, एमडी न्यूक्लियर मेडिसिन ने न्यूक्लियर मेडिसिन के माध्यम से कैंसर की डायग्नोसिस और उपचार में हो रहे नवाचारों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि पोजीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) स्कैन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से कैंसर के शुरुआती चरणों में भी सटीक निदान किया जा सकता है।
असर्फी कैंसर संस्थान के मुख्य निदेशक उदय प्रताप सिंह ने कहा “असर्फी कैंसर संस्थान द्वारा असर्फी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वधान में प्रत्येक दिन आस पास जिलों में कैंसर की पहचान करने एवं स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से नि:शुल्क कैंसर स्क्रीनिंग कर लोगों को प्रारंभिक अवस्था में कैंसर की पहचान कर संदिग्ध मरीजों को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे काफी मरीजों को फायदा हुआ है और यह नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर आगे भी होती रहेंगी।“
इस आयोजन का उद्देश्य समाज में फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना था, ताकि लोग इस बीमारी से बचने के लिए सतर्क रहें और समय पर नि:शुल्क उपचार प्राप्त करें।
असर्फी कैंसर संस्थान इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित कर कैंसर के खिलाफ समाज में सही जानकारी फैलाने का कार्य करता रहेगा।

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