हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष
शिव शंकर यादव
धनबाद जिला अध्याक्ष , राष्ट्रीय पत्रकार संघ
दो सौ वर्ष पूर्व कलकत्ता से उदंत मार्तंड हिंदी में निकली जिसका श्रेय जुगल किशोर शुक्ल जी को जाता है। यह शुरुवात थी कि अंग्रेजी फारसी बंगला के साथ हिंदी पत्रकारिता का नव उदय हुआ। जिसके बाद देश की आजादी की लड़ाई और उसमें हिंदी पत्रकारिता ने अपनी भूमिका निभाई महात्मा गांधी, प्रेमचंद, माखनलाल चतुर्वेदी, अज्ञेय, भारतेंदु हरिश्चंद्र के दौर ने नई इबारत लिखी। आज जिस हिंदी पत्रकारिता को हम देख रहे हैं। उसमें सुधार की गुंजाइश है। मानवीय संवेदना, करुणा जैसे भाव पीछे छूट रहे हैं।
आज हिंदी पत्रकारिता का शहर दर शहर विस्तार हुआ है। इसके साथ स्थानीय भाषा और उसके पत्र को भी सहायता मिलनी चाहिए। एक वातावरण बनाने की जरूरत है जहां हिंदी के साथ स्थानीय भाषा के पत्र को सुरक्षित स्थान मिले। यह हिंदी के विकास के लिए भी जरूरी तथ्य है। और हिंदी पत्रकारिता से जुड़े पक्षों में मानवीय संवेदना, करुणा सच्चाई को उजागर करने की जीवटता को बरकरार रखने वाले कलम के सिपाहियों को सरकार भी संरक्षण और सुविधा प्रदान करे। अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कई घटनाएं विचलित करने वाला है जिसमें पत्रकार बंधु को खोना पड़ा है। आज लगभग सभी संघ मंच मोर्चा से पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाई जा रही है। हिंदी पत्रकारिता के दो सौ वर्ष के अवसर पर सरकार को पत्रकार और हिन्दी पत्रकारिता के लिए ठोस पहल करनी चाहिए। ताकि हिंदी पत्रकारिता अपने गौरव के साथ आगे बढ़ता रहे।