डॉ पुनम शर्मा रचित कविता तपिश चाहिए
तपिश चाहिए (शीर्षक) धूप अपना पता नहीं बताती,सूरज गुम हो गया है,कोहरे ने कोहराम मचा रखा है,,,वर्षा रानी कभी कभीपायल छनकाती है,हम रजाई, कंबल में लिपटे ,आलसी हो गये हैं,आश्रित हैं हमगृह कर्मचारियों के,,,दर्शन दुर्लभ हैंएक दुसरे के,मोबाइल ही एक मात्र साधन हैवार्तालाप संवाद का,कमरे से निकलकर ,चिड़ियों की चहचहाहट परहम भी बतिया लेते हैं,,उन्हें […]
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