डॉ पुनम शर्मा रचित कविता तपिश चाहिए

तपिश चाहिए (शीर्षक) धूप अपना पता नहीं बताती,सूरज गुम हो गया है,कोहरे ने कोहराम मचा रखा है,,,वर्षा रानी कभी कभीपायल छनकाती है,हम रजाई, कंबल में लिपटे ,आलसी हो गये हैं,आश्रित हैं हमगृह कर्मचारियों के,,,दर्शन दुर्लभ हैंएक दुसरे के,मोबाइल ही एक मात्र साधन हैवार्तालाप संवाद का,कमरे से निकलकर ,चिड़ियों की चहचहाहट परहम भी बतिया लेते हैं,,उन्हें […]

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नरेश पासवान द्वारा रचित गीत ये दिल जरा ठहर

नरेश पासवान ये दिल जरा ठहरक्यों बहक रहा ये नजर।।ओ किसी और कि है, फिर भी उस पर नजरअपने दिल पर काबू कर , न हो बेअसरये दिल जरा ठहरक्यों बहक रहा ये नजर ।।एसी सूरत है, दिल को कैसे मनाउदिल मानता नहीं, कैसे समझाऊंतू आईसा न था, फिर है बेकदरये दिल जरा ठहरक्यों बहक […]

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पुनम शर्मा रचित कविता ये जिंदगी

ये जिन्दगी मैंने जिंदगी को बड़े इत्मीनान सेजिया है,परखा है, निहारा है,पन्ना दर पन्ना पलटती गयी,रिश्तों के भेद खोलती,मुखौटों की परतें उधेड़ती,चेहरों को बेनकाब करती,ये जिन्दगी,,,,,तुम “तुम” नहीं रहे,मैं भौंचक निहारती,,,,,जिंदगी गिरगिट है जनाबमाहौल के मुताबिक रंग बदलती है,कुछ तो समझो सगा “सगा” नहींकभी मेरी हार तेरी जीत बनी जिन्दगीजंग कभी कभी रिश्तों कोबेनकाब कर […]

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रविकांत कुमार रचित कविता दीवाली के नाम

दीवाली के नाम।।। 1 ।।जिस दिन लौटे लक्ष्मण भ्रातामाता सीता प्रभु श्री रामलंका नगरी से अयोध्या धामवो दिन दिवाली के नाम ।।। 2 ।।रावण भी ठाना था मन मेंउनके हीं हाथों मरना ।लाख समझाएं पत्नी और भाईफिर भी कहना न माना ।आख़िर में तो सबको एक दिनपंचतत्व में हीं मिल जाना ।अंतिम समय में वो […]

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अहोई अष्टमी पर डॉ पुनम शर्मा की रचना

अहोई अष्टमी पर विशेष वक्त के साथ,मान्यताएं बदलनी चाहिए,,,,अहोई अष्टमी सिर्फ लड़कों के लिए,मां के हिस्से की धरोहर नहीं है,आज के युग में कौन सा क्षेत्रबचा है जहां ,लड़कियां परचम नहीं लहरा रहीं,,,वक्त के साथ मानसिकता भी करवटें बदलती है,जब मैं बी एससी में थी,मेरी आदरणीय सासू मां ने मुझसेअहोई अष्टमी व्रत रखवा दिया थामैंने […]

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रविकांत कुमार रचित कविता दशहरा का मेला

दशहरा का मेला।। 1 ।।संस्कृति का पर्व हैदशहरा का मेला ।नारी शक्ति का गर्व है ,दशहरा का मेला ।।।। 2 ।।माता के चरणों में सभी ,श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ।मन हीं मन अपनी भावों को ,उन्हें समर्पित करते हैं ।भक्तों का रेला है ,दशहरा का मेला ।।। 3 ।।हर तरफ़ दुकान सजी हैरोशनी खुब […]

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डॉ योगानंद झा रचित कविता निष्ठा

निष्ठाछू ले कलम तो भाव है,दिल चीर दे तो घाव है,।चढ़े चौसर पर तो दांव है,निविष्ट निष्ठा ही तो नाव है ।।दुनिया में वो दम कहां,जो निष्ठा को तोड़ सके।अन्तर्मन के आत्मविजय को,जरा भी कोई मरोड़ सके ।।दुनिया ने इस निष्ठा को,न जाने किस ओर लगाया।जब भी जगती खुद में निष्ठा,तब तब उत्तम दर्शन पाया […]

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डॉ पुनम शर्मा रचित कविता हिम्मत न हारना तुम

हिम्मत न हारना तुम माना कि आज मैं खंडहरहो गई हूं,,,,,,पर खंडहरों में भी बहुत कुछदबा होता है,मैं खंडहर होकर भीदबाये बैठी हूँ ,एक धरोहर की तरहदुआओं की पोटली ,जिसे हाथ डाल करनिकाल लेना तुम,ये दुआएंतुम्हारे लिएबेशकीमती हैं ,,,,वो बहुत काम आऐंगी तुम्हारे ,आज भी ,,,,,,मेरे जाने के बाद भी,कभी परख लेना,वो धरोहर मैंने संभाली […]

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कवि प्रभात के 118 वी जयंती पर कविता पाठ कर दी गई श्रद्धांजलि

मेरठ। महाकवि केदार नाथ मिश्र प्रभात जी की 118 वीं जन्म शती के अवसर पर केदार नाथ मिश्र फाउंडेशन द्वारा उनकी सपूत्री रागिनी भारद्वाज द्वारा डिजिटल पटल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कर्ण और केकई जैसे महाकाव्य के रचीयता के सम्मान में नई दिल्ली से डॉक्टर अशोक लव, मेरठ से कवि विजय प्रेमी, गजरौला से […]

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डॉ योगानंद झा रचित कविता मातृवंदन

*मातृवंदन * बेपनाह तुझसे प्यार करता हूं,कर यकीन इंतज़ार करता हूं।ढूंढती रहती हैं ये आंखें,याद भी हरबार करता हूं।गिरता हूं जब कभी ,लोग मदहोश कहते हैं।नशेड़ी होगा कोई,कुछ तो बेहोश कहते हैं।पर तूं तो सब जानती है,फिर हठ क्यों ठानती है।दुनिया तुझे भी पहचानती है,तू अपना मुझे मानती है।कसम तुम्हारी खाता हूं,मिटने न कभी तुझको […]

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