रविकांत कुमार की रचित गणेश आराधना

।। 1 ।।हे गजानन आपका ये प्यार है ।हे गजानन आपका ये प्यार है।फूलों से सजा प्यारानगर हरिद्वार है ।फूलों से सजा प्यारानगर हरिद्वार है ।हे गजानन आपका ये प्यार है ।।हे गजानन आपका ये प्यार है ।।।। 2 ।।माता पार्वती आई आप भी आईए।रिद्धि सिद्धि साथ लेकर आईए ।माता पार्वती आई आप भी आईए।रिद्धि […]

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हे गोविंद सुनो पुनम शर्मा रचित कविता

हे गोविंद सुनो मैं जिज्ञासु हूं उस गीता ज्ञान की,जो सबकी झोली में नहीं आता ,हे माधव !अपने वट वृक्ष तले, विश्राम दो मुझे ,गीता आम आदमी की समझ से बाहर है,,,,कोशिशों का हाथ थाम,पदार्पण किया है इस क्षेत्र में,श्री कृष्ण मुख से निकलीसर्वभौम सत्य अमृत वाणी है,जितना समझने की कोशिश करती हूं शून्यता के […]

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कृष्ण जन्मोत्सव पर रविकांत कुमार की कविता

कृष्ण जन्मोत्सव विशेष।। 1 ।।श्याम सलोने रंग है तेरा ,श्याम सलोने रंग है तेरा ,सोने जैसा बाल ।जनम लिया जिस घर में तू लल्ला ,वो घर हो खुशहाल ।।जनम लिया जिस घर में तू लल्ला ,वो घर हो खुशहाल ।।।। 2 ।।कृष्ण पक्ष में जनम लियो तू ,नाम इसीलिए है कृष्णा ।युग द्वापर अष्टमी तिथि […]

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रविकांत कुमार की कविता चीन का दर्पण

चीन का दर्पण अरे चीन ! तुम्हारी करतूतों कोभला ! कौन नहीं है जानता ?तू हत्यारा है , तू धोखेबाज़ हैतुझे कौन नहीं है पहचानता ? तू विश्वास के पात्र नहींतेरे हृदय में प्यार नहींतू कभी किसी का साथ नहींतेरे दोनों अब हाथ नहींतू हर किसी की बर्बादी मेंबढ़चढ़ कर हिस्सा लेता हैबर्बादी के अंत […]

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मातृ दिवस पर पूनम शर्मा की कविता

क्षमादान दो मां (शीर्षक) मां की मोटी मोटी कर्मठ ,बेडौल उंगलियां,,,,जब बीमार पड़ते ही माथे परचहलकदमी करतीं,मां कुछ बुदबुदाती और,,,,रोग छू मंतर हो जाता,,,,वैद्य की दवा या होम्योपैथी कीछोटी छोटी गोलियां, राम रक्षा स्तोत्र के साथ खिलाना पापा का,चमत्कारी हुआ करता था,,,,,,,वो कौन सा हुनर था जोसाथ ले गयी मां,,,,हमें भी तो सिखाया होता ,बस […]

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तड़पता कर्ण नाटक का मंचन रविवार को भूली में

भूली। नीरज मेमोरियल स्कूल रविवार को एतिहासिक और धार्मिक पत्र कर्ण के जीवन के सामाजिक धार्मिक भावना को उकेरती नाट्य निर्देशक v लेखक वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा के निर्देशन में तड़पता कर्ण के मंचन का गवाह बनेगी।नाट्य निर्देशक और लेखक वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा ने बताया कि तड़पता कर्ण नाटक का संगीतमय मंचन कला निकेतन और संगीत […]

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रविकांत कुमार रचित कविता फागुन के रंग बसंत के संग

फागुन के रंग/ बसंत के संग।। 1 ।।रंग उपवन के हैं चमकीलेरंगीले फागुन में ।किसने फेंका रंग सुनहराखिल जाए अब मौसम बदराप्रेम अगन हो चले अब जोशीलेरंगीले फागुन मेंरंग उपवन के —।। 2 ।।बन उपवन सब लेती अंगड़ाईफगुनाहट की जादू छाईमहक फूलों की खूब मृदुलेरंगीले फागुन में ।रंग उपवन के —।। 3 ।।राग बसंत अलिकुल […]

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राधाकृष्ण झा रचित होली पर मैथिली कविता

विद्यापति समिति धनबाद विद्यापति आंगन मिथिला भवनहोरी मिलन अद्भुत दृश्यरंग अबीर गरम जिलबीभंग डूबल फगुआ वृद्धि।हंसी खुशी स‌ फाग भेलविजया रंग में मतंग भेलजोगीरा गयलनि राधाकृष्णविभूषित भेला मिथिला वृन्द।🙏बूरा न मानों होली हैविद्यापति समिति धनबादसांसद- बरद बनि भांग चरैत छथिनहि भेटै छनि पुआअंगने अंगने घूमि रहल छथिपहिर क छपुआ नुआ।जोगीरा स र र र विधायक- […]

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माधुरी कुमारी की कविता होली

होली खुशियों का ये दिन है आया,मिटा पाप धरती से औरहोली की खुशियां संग लाया। मोहन रंग में रंगी राधिका रंगउड़े गुलाल,वृन्दावन का कण कणबोली होली का दिन है आया । होली में शत्रु भी गले मिल जाए,मित्र बनके गुलाल लगाए ऐसापावन दिन है आया । अमीर गरीब हम सब एक हो जाए,जाति धर्म सब […]

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पूनम शर्मा रचित कविता तू ही मित्र है

तू ही मित्र है आज फिर मन उदास है,चारों दिशाओं में भटकता मन,कटी पतंग बन गिरतातेरे ही पास है,,,,उठा ले तू,सुकून आ जाएगा,हौसला बढ़ जाएगा उड़ने का,,,,मेरी हिम्मत सिर्फ तू है,मित्र है तू , पीड़ा भाप जाता है,मेरी आंखों की भाषा पढ़ लेता है,अंदरुनी स्थिति समझ जाता है,थकी हारी टूटती मैं,आ बैठती हूं तेरे द्वार,तू […]

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